
पुरी की रथ यात्रा इस साल एक उल्लास की जगह मातम में बदल गई, जब भगदड़ और अफरा-तफरी ने चीत्कार, खून और लाशों के बीच यह पावन आयोजन इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में शामिल कर दिया।
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CM का फुर्तीला फैसला: SP व DM पर गाज कसी गई
24 घंटे बाद मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने एसपी आशीष कुमार सिंह और जिलाधिकारी समीर रंजन दास को तत्काल हटाने का ऐतिहासिक ऐलान कर दिया। इनके स्थान पर पिनाक मिश्रा और चंचल राणा जैसा ‘कुण्डली-परीक्षित’ टीम गठित की गई है—रथ यात्रा खत्म होने तक ही ज़िम्मेदार।
25 लाख मुआवजा – कम है या बहुत?
मुख्यमंत्री ने हर मृतक परिवार को 25 लाख रुपये का मुआवजा और गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों को मुफ्त इलाज व पुनर्वास की घोषणा की। लेकिन सोशल मीडिया पर यह “santvana’s cheque” कहा जा रहा है, क्योंकि सवाल उठ रहा है—“क्या जान का मोल सिर्फ इतने में आंका जाता है?”
सुरक्षा की सच्चाई खुली आँखों के सामने
सरकार ने रथयात्रा के लिए बड़ी तैयारियों का दावा किया था, लेकिन भिड़ंत के वीडियो में ये साफ दिखा कि 20 मिनट तक कोई मदद नहीं पहुंची। यह किसकी लापरवाही थी—प्रशासन की, व्यवस्था की, या दिल की?
अदालत नहीं, कार्रवाई मिली
मुख्यमंत्री ने त्वरित कार्रवाई करके साफ संदेश दिया है—“कोताही बर्दाश्त नहीं होगी”। लेकिन सवाल बना हुआ है—क्या यह जनता की आग बुझा पाएगा, या यह सिर्फ राजनीतिक हाउसकीपिंग बनकर रह जाएगा?
साहसिक कदम या केवल जल का छिड़काव?
पुरी के दुख की आंच अभी ठंडी नहीं पड़ी। CM की सख्त कार्रवाई ने जनता को थोड़ी राहत दी है, पर परम सवाल: क्या सुरक्षा विफलता दूर होगी? या अगली रथ यात्रा पर फिर से मृत्यु का कारवां खड़ा हो जाएगा?
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